उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुम्बई में पूर्व राज्यपाल राम नाईक से मिले, और उनको अपनी सरकार के तीस माह का कार्यवृत्त भेंट किया। इस मुलाकात का सन्दर्भ उल्लेखनीय है। ढाई वर्ष पहले राज्यपाल के रूप में राम नाईक ने ही योगी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। दूसरा तथ्य यह कि उत्तर प्रदेश में अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने की परंपरा राम नाईक ने ही शुरू की थी। इसे योगी आदित्यनाथ भी आगे बढ़ा रहे है। पिछले दिनों ही उन्होंने लखनऊ में सरकार के तीस माह का रिपोर्ट कार्ड जारी किया था।
योगी के इन तीस महीनों के अधिकांश हिस्सा राम नाईक के साथ ही गुजरा है। शायद यही कारण था कि योगी ने मुम्बई जाने का निर्णय लिया। इस रिपोर्ट कार्ड में राम नाईक और योगी आदित्यनाथ के बीच बहुत कुछ साझा है।
इस दौरान राम नाईक उत्तर प्रदेश के संवैधानिक मुखिया थे। योगी ने सदैव इस रूप में उनके विचारों को महत्व दिया। राम नाईक की सलाह पर योगी ने उत्तर प्रदेश दिवस मनाने की परंपरा प्रारम्भ की। उनकी ही सलाह पर लोकमान्य तिलक के उद्घोष स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है, की एक सौ एक वी जयंती मनाई गई। उनकी सलाह पर योगी ने इलाहाबाद को उसका मूल नाम प्रयागराज प्रदान किया।
इसी अवधि में अब तक का सबसे सफल प्रयागराज कुम्भ का आयोजन किया गया। दो सर्वाधिक सफल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया। राम नाईक ने यहां सदैव संवैधानिक सक्रियता का पालन किया। योगी ने सदैव उनके विचारों का सम्मान किया। दोनों की यह मुलाकात भावनात्मक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण रही होगी।
–डॉ दिलीप अग्निहोत्री