नई दिल्ली, 7 अगस्त : बेहद बुरे हालातों से गुज़र रहे बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़कर भाग जाने के एक दिन बाद बांग्लादेशी लोग इस इंतजार में हैं कि अब आगे क्या होता है। वहीं, देश के सेना प्रमुख ने कहा है कि अंतरिम सरकार और नए चुनावों की घोषणा की जाएगी। हालांकि इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है। वहीं, शेख हसीना सरकार को उखाड़ फेंकने वाले छात्र नेताओं ने कहा है कि वे सैन्य नेतृत्व वाली सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे में बांग्लादेश में नई सरकार के गठन को लेकर सेना छात्र नेताओं से मुलाकात कर उन्हें मनाने का प्रयास कर रही है। नौकरी में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के आंदोलन ने शेख हसीना की 15 साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंका है।
हमने मानवता देखकर आंदोलन में हिस्सा लिया लेकिन…!
ये बांग्लादेश की हिन्दू लड़की आर्या भौमिक है। इन्होने कहा कि “हमने मानवता देखकर आंदोलन में हिस्सा लिया लेकिन अब हम हिन्दुओ को ही मारा जा रहा है।” हिन्दू लड़की आर्या ने बढ़चढ़कर बांग्लादेश के आंदोलन में हिस्सा लिया, अपने मुस्लिम दोस्तों को अच्छा बताया! लेकिन अगले ही दिन जब हिन्दुओ पर हमले होने लगे, हिन्दुओ का कत्लेआम होने लगा तो आर्या भौमिक को सब समझ आ गया। अब चीख-चीखकर सोशल मीडिया पर बांग्लादेश के हिन्दुओ को बचाने की गुहार लगा रही है। – पांच्यजन्य ट्वीट के अनुसार
फिलहाल उनके लंदन जाने की अटकलें हैं हसीना सरकार के बांग्लादेश से विदाई के साथ देश में सत्ता के शीर्ष पर कौन बैठेगा? यह सवाल खड़ा हो गया है। हालांकि इसमें भी नया पेंच फंसने लगा है। बांग्लादेश आर्मी और छात्र नेताओं के बीच सरकार बनाने को लेकर सहमति नहीं बन पाई है।
पूरी दुनिया में कोई एक वैश्विक नेता जिस पर भारत आँख मूँद कर भरोसा कर सकता था!
पूरी दुनिया में कोई एक वैश्विक नेता जिस पर भारत आँख मूँद कर भरोसा कर सकता था, वह बंग-बंधु शेख़ मुजीबुर्रहमान की पुत्री शेख़ हसीना थी। शेख़ हसीना का सत्ता से बेदख़ल होना भारत के लिए बड़ा झटका है। इन्होंने पाकिस्तान की मदद से बांग्लादेश में चल रही भारत विरोधी कट्टरपंथियों की दुकानें बंद करवाई थी। काक्सबाज़ार में छिपकर रह रहे असम के आतंकियों का भी इन्होंने सफ़ाया करवाया था। निसंदेह इनकी सरकार दक्षिण एशिया में भारत की सबसे विश्वस्त सरकार थी।
– @Vishal_724
मीडिया रिपोर्ट्स और बीबीसी की रिपोर्ट है कि छात्र नेताओं और सेना के बीच सरकार बनाने को लेकर वार्ता चल रही है लेकिन, छात्र संगठन सेना को किसी भी कीमत पर सरकार की कुर्सी पर नहीं बैठते देखना चाहते। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्थानीय मीडिया ने बताया कि सेना प्रमुख वाकर-उज – जमान को नई सरकार के गठन के लिए छात्र नेताओं की सहमति की जरूरत है। इसके लिए उनकी आपस में वार्ता चल रही है ताकि देश में नई अंतरिम सरकार पर मुहर लगाई जा सके।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार छात्र नेता देश को सेना के हवाले नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि वे सैन्य नेतृत्व वाली सरकार को नहीं चाहते हैं। वार्ता में छात्रों ने मुख्य सलाहकार नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की पैरवी की है। छात्र आंदोलन के प्रमुख आयोजकों में से एक नाहिद इस्लाम ने फेसबुक पर एक वीडियो में कहा, हमने जिस सरकार की सिफारिश की है, उसके अलावा कोई भी सरकार स्वीकार नहीं की जाएगी। हम सेना समर्थित या सेना के नेतृत्व वाली किसी भी सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे।