लखनऊ । बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में बिरसा अंबेडकर फूले छात्र संगठन ने मान्यवर साहब के जन्मदिन के अवसर पर विश्वविद्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया और उनके जीवन संघर्ष के बारे में बात करी गई कांशीराम भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे।
पत्रकारिता विभाग के छात्र सौरभ कठेरिया ने बताया की उन्होंने भारतीय वर्ण व्यवस्था में बहुजनों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए कार्य किया। इसके अन्त में उन्होंने दलित शोषित संघर्ष समिति, 1971 में अखिल भारतीय पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों कर्मचारी महासंघ और 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की।
छात्र शुभम ने बताया की मान्यवर कांशीराम जी ने बहुजन समाज की राजनीतिक जागरूकता, सामाजिक न्याय और सत्ता में भागीदारी का जो सपना देखा था, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। यह परिचर्चा उनके विचारों की आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता को समझने और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ने का एक अवसर है। जब उन्होंने पहली बार जातिगत भेदभाव का अनुभव किया और छात्र राहुल कुमार ने बताया कि जो कर्मचारी डॉक्टर आंबेडकर का जन्मदिन मनाने के लिए छुट्टी लेते थे उनके साथ ऑफिस में भेदभाव किया जाता। वे इस जातिगत भेदभाव को ख़त्म करने के लिए 1964 एक दलित सामाजिक कार्यकर्ता बन गए थे. मान्यवर कांशीराम साहब के ही प्रयासों से बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
“संगठित बनो, शिक्षित बनो और सत्ता पर कब्जा करो!”
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