आईआईटी कानपुर ने चुना स्टार्टअप के लिए, पर्यावरण संरक्षण के लिए होगा बेहतर
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के विद्यार्थियों का प्रोजेक्ट आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप, इनक्यूबेशन एण्ड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) द्वारा फन्डिंग के लिए चुना गया है । विवि के तीन विद्यार्थियों, पर्यावरण विज्ञान विभाग से परास्नातक के विद्यार्थी दानिश कलीम और आकांक्षा भारती और सांख्यिकी विभाग से परास्नातक के विद्यार्थी गौरव कुमार ने आईआईटी कानपुर के इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा इनोवेशन प्लेटफॉर्म के माध्यम से आमंत्रित आवेदन में अपना प्रोजेक्ट प्रपोज़ल भेजा था। उसमें उन्होंने थर्माकोल का विकल्प तैयार करने से संबंधित अपना आइडिया साझा किया, जो न सिर्फ बायोडिग्रेडेबल होगा बल्कि पराली की समस्या को भी समाप्त करेगा । उनके इस प्रोजेक्ट को आईआईटी कानपुर द्वारा चयनित किया गया और उन्हे 1.57 लाख रुपये का वित्तीय सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है ताकि वे अपने इस प्रोजेक्ट को पूरा कर मानवहित एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रकृति के अनुकूल थर्माकोल तैयार कर सकें।
एसआईआईसी, कानपुर द्वारा आमंत्रित आवेदनों में कुल 21 विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से विद्यार्थियों ने आवेदन किया था, जिसमें लिखित ऑनलाइन परीक्षा में पास लगभग 1200 विद्यार्थियों को स्क्रीनिंग के लिए बुलाया गया था। स्क्रीनिंग के बाद कुल तीन चरणों मे अपने प्रपोज़ल को बखूबी प्रस्तुत कर बीबीएयू के विद्यार्थियों ने यह सफलता हासिल की। अपने प्रोजेक्ट को लैब में पूरा करने के लिए उन्हें 60 दिन का समय दिया गया है।
विद्यार्थियों ने बताया कि हमारे दैनिक जीवन मे थर्माकोल का प्रयोग अनियंत्रित तरीके से बढ़ा है। हम इससे बने कप और प्लेटों का इस्तेमाल करते हैं, पैकेजिंग के लिए बड़ी संख्या में इसका प्रयोग होता है। चूंकि थर्मोकोल बायोडिग्रेडेबल नहीं है, जिसके कारण यह जहां कहीं भी फेंका जाता है, इसके छोटे-छोटे टुकड़े जमीन, वायु और समुद्र को प्रदूषित करने का एक बड़ा कारण बनते हैं। इसे जलाने के दौरान इससे पैदा होने वाला धुआं पूरे वायुमंडल को प्रदूषित करता है।
इस समस्या से निजात दिलाने के लिए के लिए हमने पराली से थर्माकोल तैयार करने का तरीका विकसित किया है। एसआईआईसी, कानपुर से प्राप्त वित्तीय सहयोग और अपने मेंटर प्रो. नवीन अरोरा के मार्गदर्शन में हम अपने इस प्रोजेक्ट को पहले लैब में पूरा करेंगे । आगे के परिणामों के आधार पर हम इसके उत्पादन का कार्य कर सकते हैं । अपने इस प्रोजेक्ट के माध्यम से हम प्लास्टिक और इससे होने वाले प्रदूषण के साथ ही सर्दियों में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को भी रोक सकेंगे।