लखनऊ, 08 मई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता और हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के वरिष्ठ पत्रकार बृजनन्दन राजू को प्रतिष्ठित साहित्य गौरव सम्मान 2025 से नवाजा गया। यह सम्मान अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा वृन्दावन में आयोजित सर्व भाषा साहित्यकार सम्मान समारोह में प्रदान किया गया। परिषद हर वर्ष विभिन्न भाषाओं और बोलियों में योगदान देने वाले साहित्यकारों को यह सम्मान देती है।
समारोह में साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर, सह संगठन मंत्री मनोज, राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील चन्द्र ‘मधुपेश’ और अक्षय पात्र आश्रम के महामण्डलेश्वर अनन्त वीर्य महाराज की उपस्थिति में बृजनन्दन राजू को अंग वस्त्र, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र भेंट किया गया।
15 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता और साहित्यिक योगदान
पिछले 15 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय बृजनन्दन राजू वर्तमान में हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी, लखनऊ में वरिष्ठ संवाददाता हैं। उनकी पुस्तकें ‘जनता सर्वोपरि’ (योगी सरकार के कार्यों पर आधारित) और ‘स्वर्णिम भारत की ओर’ (मोदी सरकार के कार्यों पर आधारित) प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा, उन्होंने ‘समरसता पाथेय’ लघु पुस्तिका का प्रकाशन और कई विशेषांकों का सम्पादन किया है। उनके 1200 से अधिक लेख राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं। सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक उन्नयन और वंचित समाज के उत्थान पर उनकी लेखनी विशेष रूप से केंद्रित रही है।
22 वर्षों से समाज जागरण में सक्रिय
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से 22 वर्षों से जुड़े बृजनन्दन राजू प्रचार विभाग के माध्यम से समाज जागरण में सक्रिय हैं। उन्होंने सेवा प्रकल्पों पर विशेष रिपोर्टिंग कर वंचित समाज के उत्थान को रेखांकित किया है।
अवध के सात साहित्यकार सम्मानित
साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा. पवनपुत्र बादल ने बताया कि वृन्दावन में आयोजित समारोह में कौरवी, ब्रज, हिन्दी खड़ी बोली, अवधी, बुन्देली और भोजपुरी भाषा के साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। लखनऊ से बृजनन्दन राजू के साथ डा. बलजीत श्रीवास्तव और विजय त्रिपाठी को भी सम्मान मिला। अवध प्रान्त से प्रो. हरि शंकर मिश्र, डा. उमा शंकर शुक्ल, डा. रश्मि शील और सर्वेश पाण्डेय भी सम्मानित हुए।
वृन्दावन की पावन भूमि पर आत्मबोध
सम्मान ग्रहण कर बृजनन्दन राजू ने कहा, “प्रेम और भक्ति रस से सराबोर वृन्दावन की पावन भूमि पर पूज्य संतों और देशभर के मूर्धन्य साहित्यकारों के बीच यह सम्मान पाकर मैं गौरवान्वित हूँ। साहित्य परिषद का हृदय से आभार। वृन्दावन का कण-कण रसमय है, यह श्री राधिका रानी का निज धाम है। इस भूमि ने मुझे आत्मबोध कराया है।” यह सम्मान बृजनन्दन राजू के साहित्यिक और सामाजिक योगदान का सशक्त प्रमाण है।