जी.के चक्रवर्ती
हमे यह कहने की आवश्यकता नही है कि हमारे देश भारत में वर्ष भर अनेकों तरह के त्यौहार के मनाये जाने का सिलसिला चलता रहता है। वैसे क्रिसमस का त्यौहार वस्तुतः क्रिश्चियनों द्वारा मनाये जाने वाला पर्व है। लेकिन अंग्रेजो ने पूरी दुनिया के जिन-जिन देश मे राज किया वहां पर अपनी सत्ता स्थापित करने के लिये अंग्रेजी शासकों ने वहां पर सर्वप्रथम अपनी संस्कृति, भाषा एवं धर्म को स्थापित किया, और बहुत से लोगों के धर्म परिवर्तन कर उन्हें अपने धर्म सम्प्रदाय के रीति रिवाजों को मानने पर मजबूर किया।
वैसे 25 दिसम्बर ईसामसीह के जन्म के रूप में मनाया जाता है लेकिन यह दिन ईसामसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक तिथि नहीं हैं।
वहीं पर हमारे देश में इस बड़े दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाये जाने की परम्परा बहुत प्राचीन काल से है और इसको रोमन यामकर से सम्बन्ध स्थापित करने के आधार पर इस दिन को विशेष कर भारत मे चुना गया था जिसके कारण इसे बड़े दिन का नाम दिया गया।
भारतीय धर्म-शास्त्रों के मतानुसार इस दिन सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व है। इस तिथि से दिन के लम्बे एवं रात के छोटे होने का क्रम प्रारम्भ हो जाता है। इस कारण इसे सूर्य देव के पुनर्जन्म का दिन भी माना जाता है।
पूरी दुनिया मे केवल भारत वर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां पर विभिन्न संप्रदायों के लोग रहते और अपने-अपने त्यौहारों को बड़े ही हर्षोउल्लास से तो मानते हैं इसके साथ ही भारत के हिन्दु सम्प्रदाओं में मनाये जाने वाले त्यौहारों को भारत मे दूसरे सम्प्रदाय के लोग भी मानते हैं जिसमे होली, दीपावली, रक्षा बंधन जैसे पर्वों की तरह ही क्रिसमसडे को यहां की एक प्रमुख पर्व की तरह मनाया जाता है।
इस दिन को अन्य भारतीय त्योहारों में होने वाली छुट्टीयों की तरह इस दिन हमारे देश के सभी स्कूल-कालेजों में भी छुट्टी रहती है। इस दिन को हमारे घरों के अलावा मोहल्ले और शहरों के मॉलों में भी क्रिसमस ट्री लगाया जाता है इस ट्री को बच्चे अच्छी तरह से सजा कर खुश होते है और बच्चे खुश हो भी क्यों नहीं उनको जो सांताक्लाज से इस दिन उन्हें उपहार स्वरूप टॉफियां और तरह तरह के खेल- खिलौने जो मिलते हैं।
क्रिश्चियन समुदाय के लोगों में प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर के दिन क्रिसमस को मनाने को लेकर इंतेजार किया जाता है। यह ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार है। इसी दिन प्रभु ईसा मसीह के रूप में जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था इसलिए इसे बड़ा दिन भी कहते हैं। क्रिसमसडे मनाये जाने वाले दिन के कुछ दिनों पहले से ही देश के विभिन्न गिरजा घरों में विभिन्न कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं जो नव वर्ष तक चलते रहते हैं। गिरजा घरों में मसीह गीतों के साथ प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता है। इसाई समुदाय के लोग विशेष कर बड़ा दिन मनाने के लिए अपने घरों की साफ-सफाई रंग रोगन कर उसे सजाते है और नए वस्त्र पहनते हैं और अपने घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाते हैं।
क्रिसमस के दिन मसीह समाज के लोगों द्वारा जुलूस निकाला जाता है। जिसमें प्रभु यीशु मसीह की शिशु काल की झांकियों से लेकर उनको शूली पर चढ़ाये जाने तक के अवस्थाओं की झलकियां प्रस्तुत की जाती हैं। इस जलूस में केवल ईसाई समुदाय के ही लोग नहीं, बल्कि अन्य संप्रदायों के लोग भी शामिल होते हैं और इस दिन को लोग द्वरा गिरजा घरों में मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता हैं।