लखनऊ. लुआक्टा अध्यक्ष डा मनोज पांडेय और महामन्त्री डा अंशु केडिया ने डिग्री शिक्षकों के प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति में विसंगतियों के निवारण की शासन से मांग की है. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासनादेश संख्या 1607 सत्तर-1-2021-16(43)/2021 दिनांक 1 नवम्बर 2021 द्वारा राजकीय/अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षको को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति किये जाने के प्रावधान किया गया हैं । प्रोफेसर पद पर अहर्ता हेतु प्रोन्नति के नियमो को भूतलक्षी प्रभाव से लागू किया गया है, एव सभी शिक्षको को प्रोन्नति एव पदनाम का लाभ 1 नवम्बर 2021 से प्रदान किया जा रहा है तथा अहर्ता के नियमो को भूतलक्षी प्रभाव से प्रभावी किये जाने के कारण अधिसंख्य शिक्षको के प्रोन्नतिया बाधित हो रही है।
उन्होंने बताया कि अवगत कराना है कि प्रोफेसर पद का लाभ 28 जून 2019 के शासनादेश द्वारा 2 वर्ष से अधिक समय पूर्व दिया जा चुका था, किन्तु उच्च शिक्षा विभाग की उदासीनता एव लापरवाही के कारण यह लाभ शिक्षको को समय से प्राप्त नही हुआ, नियम सबके कल्याण के लिए भविष्य लक्षी बनाये जाते है, न कि उनका प्रभाव भूतलक्षी होता है । यह भी अवगत कराना है कि 28 जून 2019 के शासनादेश को उ0प्र0रा0वि0अधि0 1973 की धारा 50(6) के अंतर्गत शासनादेश संख्या 1190/सत्तर-1-2019-16(114)/2010 दिनांक 15 अक्टूबर 2019 द्वारा अंगीकृत कर लिया गया है ।
उन्होंने बताया कि यह मामला संज्ञान में लाना है कि पूर्व में छठे वेतनमान के यू जी सी नियमन 2010 ,दिनांक 30 जून 2010 को लागू करने में शासन द्वारा इसी प्रकार 28 मई 2015 को विसंगत पूर्ण शासनादेश निर्गत किया गया था । उक्त शासनादेश की विसंगतियों के सम्बंध में लुआक्टा द्वारा तत्कालीन मा राज्यपाल रामनाईक जी से मिलकर वार्ता की गई ,मा राज्यपाल महोदय द्वारा तत्काल तत्कालीन मा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी से समस्या के समाधान के लिए दूरभाष पर वार्ता की एव प्रोन्नति के नियमों को भूतलक्षी प्रभाव से लागू करने के आदेश को संशोधन करने के निर्देश दिया था, एव उन्हें पत्र दिनांक 17 नवम्बर 2015 भी प्रेषित किया गया था (छाया-प्रति संलग्न),जिसके कारण शासन द्वारा प्रोन्नति की विसंगतियों को दूर करने हेतु कट ऑफ डेट 28 मई 2015(छाया-प्रति संलग्न) निर्धारित किया गया था ।
उक्त विसंगत पूर्ण शासनादेश की विसंगतियों के सम्बंध में संघ द्वारा अपने 9 मई 2022(छाया-प्रति संलग्न) के द्वारा विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया जा चुका है। ऐसे में प्रोफेसर पद की प्रोन्नति में विसंगतियों को दूर करना आवश्यक है. शासनादेश निर्गत होने की तिथि को कट ऑफ डेट तथा उक्त तिथि तक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत शिक्षको को तीन वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत करने के निर्देश शासन को निर्गत करने चाहिए.