लखनऊ की सीएमएस संस्था अपने स्तर से विश्व शांति की आवाज उठती रही है। इसके लिए उसके द्वारा न्यायधीशों का वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद इक्यावन पर विचार विमर्श होता है। जिसमें विश्व शांति के लिए किए जाने वाले प्रयासों का उल्लेख है। इसके पीछे विचार यह है कि बच्चों का भविष्य सुरक्षित बनाने के लिए विश्व के न्यायधीशों को मिलकर काम करना चाहिए।
इसबार के विश्व न्यायधीश सम्मेलन का उद्घाटन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया। यह मुख्य न्यायाधीशों का बीसवां अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन है। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम के उच्च आदर्शों पर आधारित है। और यही व्यापक सोच हमारे संविधान के अनुच्छेद इक्यावन में निहित है। भारत के संविधान का अनुच्छेद इक्यावन में विश्व की एकता, शांति और मानवता की भलाई करने एवं संसार के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने की बात करता है। हमारे देश की संस्कृति एवं सभ्यता ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की रही है, जिसमें हम सम्पूर्ण पृथ्वी को अपना घर और इसके समस्त मानव जाति को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। ऐसे में हमारा यह नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम विश्व कल्याण एवं मानव जाति की भलाई के लिए काम करें।
विश्व के दो अरब बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था सबसे सशक्त माध्यम है, जिसका रास्ता भारतीय संविधान के अनुच्छेद इक्यावन से निकलता है। इस भावना के अनुसार विश्व संसद, विश्व सरकार‘ व प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का गठन सम्भव है। इस सम्मेलन में इकहत्तर देशों से के स्पीकर, मंत्रीगण, मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश एवं कानूनविद् भाग ले रहे है। सीएमएस के संस्थापक जगदीश गांधी, भारती गांधी और गीता की टीम इस भव्य सम्मेलन के आयोजन को उद्देश्यपूर्ण बनाने में योगदान दे रहे है।
- डॉ दिलीप अग्निहोत्री