मधुबाला फैंस के लिए खुशखबरी है कि दिल्ली में शुरू हो रहे मैडम तुसाद म्यूज़ियम हिंदी सिनेमा की बेहद ख़ूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक मधुबाला का वैक्स स्टैच्यू लगाया जाएगा। इससे मधुबाला के फैंस काफी खुश हैं। दुनिया भर में अपनी खूबसूरती के लिए पहचानी जाने वाली ‘मुगल-ए-आजम’ की अनारकली अब मैडम तुसाद म्यूजियम में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षिक करेंगी।
खबरों के मुताबिक मोम के इस संग्रहालय में मधुबाला के पुतले को उनके सदाबहार अनारकली वाले किरदार का लुक दिया जाएगा। मैडम तुसाद के इस दिल्ली एडिशन में वैसे तो कई सारे सितारे होंगे लेकिन मधुबाला को ख़ास तौर पर शो-केस किया जाएगा।
माना जा रहा है कि आज भी उनके दीवानों की संख्या में ज़रा भी कमी नहीं आई है और लोग मधुबाला के स्टैचू के साथ सेल्फी के लिए बड़ी संख्या में आएंगे। हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम काल में ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘मिस्टर एंड मिसेज़ 55’ और ‘हावड़ा ब्रिज’ जैसी फिल्मों में काम करने वाली मधुबाला की ख़ूबसूरती और कलाकारी का लोहा दुनिया ने भी माना था।
भारतीय खूबसूरती की मिसाल मधुबाला
मधुबाला का जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में एक पश्तून मुस्लिम परिवार में हुआ था. मधुबाला अपने माता-पिता की पांचवीं संतान थी और उनके अलावा उनके 10 भाई-बहन थे. मधुबाला आगे चलकर भारतीय हिन्दी फ़िल्मो की एक मशहूर और कामयाब अभिनेत्री बनीं.मधुबाला के अभिनय में एक आदर्श भारतीय नारी को देखा जा सकता था. चेहरे से भावों को भाषा देना और नज़ाक़त उनकी विशेषता थी।
उनकी अभिनय प्रतिभा, व्यक्तित्व और खूबसूरती को देखकर कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे महान अभिनेत्री थी. मधुबाला का बचपन का नाम ‘मुमताज़ बेग़म जहां देहलवी’ था. कहा जाता है कि एक ज्योतिष ने उनके माता-पिता से ये कहा था कि मुमताज़ अत्यधिक ख्याति तथा सम्पत्ति अर्जित करेगी परन्तु उसका जीवन दुखमय होगा. उनके पिता अयातुल्लाह खान ये भविष्यवाणी सुन कर दिल्ली से मुम्बई एक बेहतर जीवन की तलाश मे आ गए.
मधुबाला ने अपना फिल्मी सफर बसन्त (1942) में ‘बेबी मुमताज़’ के नाम से शुरू किया. देविका रानी ‘बसन्त’ में उनके अभिनय से बहुत प्रभावित हुईं, इसके बाद उनका नाम मुमताज़ से बदल कर ‘मधुबाला’ रख दिया. उन्हें बालीवुड में अभिनय के साथ-साथ अन्य तरह के प्रशिक्षण भी दिए गए।
मैडम तुसाड्स की दिल्ली में 22वीं ब्रांच
बता दें कि मैडम तुसाड्स की दिल्ली में 22वीं ब्रांच है. यह मूल रूप से लंदन में स्थापित मोम की मूर्तियों का संग्रहालय है. इस म्यूजियम में विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों के मोम के पुतले रखे जाते हैं. इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने की थी।