सौर ऊर्जा संचालित मोबाइल टावरों से सुरक्षा बलों को नक्सलियों के खिलाफ सूचनाएं जुटाने में बड़ी मदद मिल रही है पहले नक्सली अक्सर टावर की बिजली सप्लाई काट देते थे, जिससे संचार भंग हो जाता था सौर पैनल लगाए जाने के बाद यह समस्या खत्म हो गई है
नई दिल्ली, 22 जनवरी। देश के लाखों मोबाइल टावरों को सौर ऊर्जा से संचालित कर न केवल पर्यावरण सुधारा जा सकता है, बल्कि ऊर्जा खर्च में भारी कमी करके देश के हजारों गांवों में बिजली भी उपलब्ध कराई जा सकती है। देश में इस समय 7.36 लाख से ज्यादा मोबाइल अथवा टेलीकॉम टावर हैं। जिनमें 6.86 लाख टावर बिजली अथवा डीजल से चलते हैं।
इनमें से केवल 50 हजार टावर स्वच्छ ऊर्जा से चलते हैं। इन हरित टावरों में भी मात्र 2500 टावरों में ही सौर ऊर्जा का प्रयोग हो रहा है। सौर ऊर्जा चालित ज्यादातर टावर नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थापित किए गए हैं। टेलीकॉम टावरों में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की स्कीम को सरकार ने सितंबर, 2014 में हरी झंडी दिखाई थी। इसके तहत झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश समेत दस नक्सल प्रभावित राज्यों में अब तक लगभग 2200 सौर ऊर्जा संचालित टेलीकॉम टावर स्थापित किए जा चुके हैं। अगले साल इस तरह के 10 हजार सौर ऊर्जा चालित टावर और लगाने का सरकार का इरादा है।
बैट्री चार्ज होने के बाद एक सप्ताह तक चलती है
झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में सौर ऊर्जा संचालित मोबाइल टावरों से सुरक्षा बलों को नक्सलियों के खिलाफ सूचनाएं जुटाने में बड़ी मदद मिल रही है। पहले नक्सली अक्सर टावर की बिजली सप्लाई काट देते थे, जिससे संचार भंग हो जाता था। टावर परिसरों में सौर पैनल लगाए जाने के बाद यह समस्या खत्म हो गई है। इनकी बैट्री चार्ज होने के बाद एक सप्ताह तक चलती है। अब तक स्थापित सभी सौर ऊर्जा टावर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल द्वारा लगाए गए हैं। निजी क्षेत्र की टेलीकॉम कंपनियों ने इसमें विशेष रुचि नहीं दिखाई है। इसका कारण नीतिगत अस्पष्टता के अलावा प्रोत्साहनों का अभाव होना है।
सौर ऊर्जा टावर लगाने में बीएसएनएल की सहयोगी कंपनी वीएनएल के वाइस प्रेसीडेंट, कारपोरेट अफेयर्स व कम्यूनिकेशंस, मनोज भान के मुताबिक एक टेलीकॉम टावर साल में औसतन 7.5 लाख रुपये की बिजली व डीजल की खपत करता है। यदि सभी टावरों के साथ सौर ऊर्जा पैनल लगा दिए जाएं तो न केवल खर्च में कमी आएगी, बल्कि अतिरिक्त बिजली भी पैदा की जा सकेगी, जिसका उपयोग हजारों गांवों को प्रकाशित करने में किया जा सकता है। अब तक जिन 2200 टावरों में सौर पैनल लगाए गए हैं, उनसे सालाना 1.40 करोड़ यूनिट बिजली पैदा हो रही है। इसमें से केवल 77 लाख यूनिट का ही उपयोग टावरों में किया जाता है। बाकी 63 लाख यूनिट बिजली बच जाती है। इससे 466 गांवों को पूरे साल बिजली पहुंचाई जा सकती है।