तारीख – 6 जून, समय- रात के 11 बजे। बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट भारतवंशी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचता है। स्पेसक्राफ्ट में खराबी की वजह से 8 दिन की यह यात्रा 8 महीने में बदल जाती है। सुनीता और बुच अगले साल फरवरी में धरती पर लौट सकते हैं।
फिलहाल वे आईएसएस में 9 दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों के साथ एक 6 बेडरूम वाले घर जितनी जगह में रह रहे हैं। सुनीता इसे अपनी पसंदीदा जगहों में से एक बताती हैं। वहीं बुच विल्मोर का कहना है कि वे भाग्यशाली हैं जो उन्हें आईएसएस में रहने को मिला है। अंतरिक्ष यात्रियों के हर 5 मिनट को धरती पर मिशन कंट्रोल टीम मॉनिटर करती है। एस्ट्रोनॉट सुबह जल्दी उठते हैं। साढ़े 6 बजे वे अपने फोन बूथ जितने बड़े स्लीपिंग क्वार्टर से निकलकर हार्मनी नाम के आईएसएस मॉड्यूल में पहुंचते हैं। यह एक कॉमन रूम जैसा होता है।
आईएसएस मॉड्यूल से निकलकर एस्ट्रोनॉट बाथरूम जाते हैं। स्पेस स्टेशन में मौजूद उनके पसीने और पेशाब को रिसाइकिल कर पीने के लिए पानी बनाया जाता है। इसके बाद एस्ट्रोनॉट अपना काम शुरू करते हैं। आईएसएस पर ज्यादातर समय रखरखाव या एक्सपेरिमेंट्स करने में जाता है।
ब्रिटेन के राजमहल बकिंघम पैलेस या एक अमेरिकी फुटबॉल फील्ड जितने बड़े स्पेस स्टेशन में ऐसा लगता है जैसे कई बसों को एक साथ खड़ा कर दिया गया है। कनाडाई अंतरिक्ष यात्री क्रिस हैडफील्ड के मुताबिक, कई बार आधा दिन खत्म होने तक दूसरे एस्ट्रोनॉट्स से मुलाकात भी नहीं होती।