बिजली दरों में बढ़ोत्तरी को लेकर ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बडी संवैधानिक कमेटी राज्य सलाहकार समिति की आयोग में बैठक संपन्न
लखनऊ 5 अगस्त: ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बडी संवैधानिक कमेटी राज्य सलाहकार समिति की बैठक आज विद्युत नियामक आयोग सभागार में विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार की अध्यक्षता और सदस्य संजय कुमार सिंह की उपस्थिति में 11:30 से 1:30 बजे तक संपन्न हुई। जिसमें अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेंद्र भूषण, प्रबंध निदेशक पंकज कुमार, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा नगर विकास सचिव अजय कुमार शुक्ला प्रबंध निदेशक मध्यांचल भवानी सिंह खगडावत ,डायरेक्टर नेडा अनुपम शुक्ला, विशेष सचिव आईटी राहुल सिंह, विशेष सचिव कृषि टीके शिबू स्मार्ट ग्रिड फोरम के अध्यक्ष रेजयी कुमार पिल्लई, भरत राज सिंह, संयुक्त सचिव खाद्य दयाशंकर शुक्ल, निदेशक ट्रांसमिशन सुशांत कुमार दास व अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
सर्वप्रथम विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता वर्ष 2024 -25 पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन व यूपीएसएलडीसी सहित नोएडा पावर कंपनी की राजस्व आवश्यकता पर एक प्रस्तुतीकरण सभी सदस्यों के सामने किया गया। विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने कहा सभी पक्षो को सुन लिया गया है और अब बिजली दर को अंतिम रूप दिया जाएगा।
सभी बिजली कंपनियों की तरफ से पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने कहा कलेक्शन एफिशिएंसी वह लाइन हानिर्यो में सुधार हुआ है बिजली कंपनियों के पास केवल सरकार से मिलने वाली सब्सिडी व बिजली दर से तय किया गया राजस्व ही दो स्रोत हैं ऐसे में बिजली कंपनियों की तरफ से वर्ष 2024 -25 हेतु दाखिल राजस्व गैप 11203 करोड के एवज में आयोग उसकी प्रतिपूर्ति करने पर विचार करें यानी की दरों में बढोतरी करें। इसके बाद प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से अपनी बात रखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा बिजली कंपनियों का गैप 11203 करोड का आंकड़ा केवल दिखाने के लिए है मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के मानक के अनुसार जैसे इसका परीक्षण किया जाएगा यह गैप समाप्त हो जाएगा और उपभोक्ताओं का सरप्लस निकल आएगा।
बिजली कंपनियां शायद यह भूल गई कि वर्तमान में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का वर्ष 2017-18 के अंत तक लगभग 13337 करोड का सरप्लस निकल रहा है और वर्ष 2021-22 में लगभग 6507 करोड का सरप्लस निकल रहा है और वर्ष 2023- 24 के बिजली दर के आदेश में 7988 करोड का सर प्लस निकल रहा है कुल सरप्लस लगभग 27833 करोड है जब इसे कैरिंग कास्ट के साथ देखा जाएगा तो यह लगभग 33122 करोड के करीब पहुंचेगी ऐसे में टैरिफ पॉलिसी के 3 साल के अंदर इसका हिसाब बराबर होना चाहिए ऐसे में विद्युत नियामक आयोग एक साथ 40प्रतिशत अथवा अगले 5 वर्षों तक 8 प्रतिशत बिजली दरों में कमी के लिए आदेश पारित करना रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का हिस्सा है इससे आयोग पीछे नहीं हट सकता इसके बाद ही उपभोक्ताओं का हिसाब बराबर होगा देश में कोई भी कानून नहीं है जो बिजली दरों में बढोतरी उत्तर प्रदेश में करा सके अब समय आ गया है बिजली घरों में कमी करना चाहिए उपभोक्ता परिषद के बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव पर डॉक्टर भरत राज भी आए साथ और उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष व भरत राज ने दे दिया लिखित सामूहिक जनहित का प्रस्ताव।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी आरडीएसएस की बात तो बिजली कंपनियां करती हैं लेकिन प्रदेश में फुल कास्ट टैरिफ लागू होते हुए भी गांव में 18 घंटे का रोस्टिंग लागू है जबकि कानून कहता है सबको 24 घंटे बिजली दी जाए एक तरफ बिजली कंपनियां घाटे का रोना रोती है और दूसरी तरफ वित्तीय मानक को मजबूत करने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय का कानून बिजली कंपनियों में निदेशक की अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष के ऊपर नहीं होगी को दरकिनार करके 65 वर्ष की बात की जाती है उत्तर प्रदेश में बिजली दुर्घटनाओं का आलम यह है कि प्रत्येक वर्ष लगभग 1100 से ज्यादा लोगों की जान जाती है संविदा कर्मी बडे पैमाने पर मरते हैं उन्हें समान काम समान वेतन नहीं मिलता इसलिए संविदा कर्मी को समान काम समान वेतन देते हुए उनकी सुरक्षा की पूरी गारंटी की जाए और इसको बिजली कंपनियां अपने बैठक का पहला एजेंडा बनाएं ऐसा पहले हुआ है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने नोएडा पावर कंपनी की भी बिजली दरों में अगले दो वर्षों तक एचपीसीएल में निकले उपभोक्ताओं के सर प्लस 1081 करोड के एवज में10 प्रतिशत की कमी को आगे 2 वर्षों तक बढाया जाए नोएडा पावर कंपनी क्षेत्र में किसानों को भी फ्री बिजली का लाभ देने का मुद्दा उठाया बिजली कंपनियों की फिजूल खर्ची लैटरल एंट्री पर बोलते हुए कहा यह अपनी फिजूल खर्ची नहीं रोकते केवल दरों में बढाने की बात करते हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर नहीं पडेगा या केंद्र सरकार की नीति है घटिया क्वालिटी के स्मार्ट मीटर लगाने से कुछ नहीं होगा स्मार्ट मीटर लगाने के बाद उपभोक्ताओं को स्वता मुआवजा भी देना पडेगा यदि 24 घंटे बिजली नहीं मिली बिजली कंपनियां केवल एक तरफा कानून की बात करती है उपभोक्ताओं को लाभ देने वाले कानून पर चुपी साध लेती है।उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर करारा हमला बोलते हुए कहा एक तरफ एसएमएस भेजने के लिए पावर कॉरपोरेशन खुद 5 पैसा में एग्रीमेंट करता है और स्मार्ट प्रीपेड मीटर में एगसएमएस अलर्ट भेजने के लिए रुपया 10 वसूल की बात करता है यह पूरी तरह गलत है और साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर कनेक्शन जोडने और काटने का शुल्क भी रुपये 50 प्रस्तावित करना असंवैधानिक है ऐसे आयोग खारिज करें और पुरानी व्यवस्था को चलने दे एसएमएस फ्री ऑफ कॉस्ट पूरी परियोजना में शामिल है फिर इस तरह की बात सही नहीं है।
पावर कॉरपोरेशन की तरफ से अपने रेगुलेटरी ऐसेट पर आयोग से पुनर्विचार की बात करने पर उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन को आड़े हाथों लेते हुए कहा की विद्युत नियामक आयोग अपने किसी भी आदेश पर रिव्यू नहीं कर सकता वैसे भी माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कमलेश कुमार वर्मा वर्सेस मायावती अजीत कुमार वर्सेस स्टेट ऑफ उडीसा में माननीय सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय है कि कोई भी कोर्ट अपना निर्णय खुद रिव्यू नहीं कर सकती केवल टाइपिंग एरर के मामले में ही छूट है इसलिए पावर कॉरपोरेशन मामले को उलझाए न यह चर्चा करने योग्य ही नहीं है।
स्मार्ट ग्रिड फोरम के अध्यक्ष रजई पिल्लई ने टाइम ऑफ यूज का मुद्दा उठाया और कहां इसे लागू किया जाए।यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने मेट्रो की बिजली दरे कम करने का मुद्दा उठाया डॉक्टर भारत राज सिंह ने सोलर का मुद्दा उठाते हुए अपनी बात रखी।