लखनऊ 18 सितंबर: हिंदी पखवाड़े के उपलक्ष्य में ज्योति कलश संस्कृति संस्थान ने हिंदी साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों के गीतों को पिरोकर बौद्ध शोध संस्थान प्रेक्षागृह गोमतीनगर में उन्हें स्वरांजलि अर्पित की। यह स्वरांजलि संगीत नाटक अकादमी परिसर में आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला में तैयार की गयी।
स्वरांजलि कि इस उत्कृष्ट प्रस्तुति में मूर्धन्य साहित्यकारों सोहनलाल द्विवेदी की कविता- वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो, महादेवी वर्मा की- मैं नीर भरी दुख की बदली, सुमित्रानंदन पंत की- कहो तुम रूपसि कौन, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की- इमन बजा, जयशंकर प्रसाद की- बीती विभावरी जाग री, मैथिलीशरण गुप्त की- सखि वे मुझसे कह कर जाते, रमानाथ अवस्थी की- चंदन है तो महकेगा ही, रामकुमार वर्मा की- मैं तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहता हूं तथा संस्था सचिव कनक वर्मा की रचना- ओ मधुर प्यार के स्मित मन शामिल थीं। इन कविताओं को संगीतबद्ध किया था यशभारती से सम्मानित संगीतकार केवल कुमार एवं डा.अमिताभ श्रीवास्तव ने।
पद्मश्री डा.विद्या विंदु सिंह की अध्यक्षता में हुये कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डा.कुमकुम धर के साथ अतिथियों के तौर पर उपस्थित नारायणी साहित्य अकादमी नई दिल्ली की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर पुष्पा सिंह, श्रीमती लक्ष्मी चौधरी और कार्यक्रम अधिकारी केके पाठक का स्वागत संरक्षक शिवा सिंह एवं आशा श्रीवास्तव ने अंगवस्त्र पहनाकर किया।
संस्था की अध्यक्ष डा.उषा सिन्हा व सचिव कनक वर्मा ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों स्नेहा रस्तोगी, आशा श्रीवास्तव, अनीता कुमारी, कुमकुम मिश्रा, मधु माथुर, संगीता जायसवाल, शकुन्तला श्रीवास्तव, सिंधुजा मित्तल, सुषमा प्रकाश, अर्चना गुप्ता, नीरा मिश्रा, सुमन शर्मा, भारती सिंह, मनु राव, मोहिनी, नीलिमा सिंह, नीलू शुक्ला, राजेन्द्र, रमन श्रीवास्तव, सरिता श्रीवास्तव, स्नेहा रस्तोगी, अनुष्का सिंह, अल्पना श्रीवास्तव, नमिता अग्रवाल, पूनम हजेला, रंजना शंकर, विनीता सिंह, सरिता अग्रवाल, सरोजिनी सक्सेना व कविता सिंह को प्रतीक चिन्ह भेंट किए। युवा नृत्यांगना रिद्धिमा और अनुष्का ने रतन सिस्टर्स ईशा-मीशा के निर्देशन में कुछ रचनाओं पर अभिनय व नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम संयोजन ज्योति किरन रतन एवं डा.लक्ष्मी रस्तोगी का रहा।