नई दिल्ली, 22 अगस्त 2018: वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चाँद पर पानी मौजूद है और यह पानी के जमे हुए स्वरूप में उपस्थित है जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है इसलिए इसका पता आसानी से नहीं मिला।
वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान के आंकड़ों के आधार पर चंद्रमा के विभिन्न क्षेत्रों के सबसे अंधेरे और ठंडे स्थानों पर पानी के जमे हुए स्वरूप में उपस्थित होने की पुष्टि की है। नासा ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में 10 साल पहले अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया था। जहाँ पर पर्याप्त मात्रा में बर्फ के मौजूद होने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि आगे के अभियानों या यहां तक कि चंद्रमा पर रहने के लिए भी पानी की उपलब्धता की संभावना है। पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि बर्फ इधर-उधर बिखरी हुई है।
दक्षिणी ध्रुव पर अधिकतर बर्फ लोनार क्रेटर के पास जमी हुई है। उत्तरी ध्रुव पर अधिक व्यापक तौर पर यह अधिक बिखरी हुई है। वैज्ञानिकों ने नासा की मून न्यूरोलॉजी एमपी 3 से प्राप्त आंकड़ों का समांतर यह दिखाया है। कि चंद्रमा की सतह पर जल ही मौजूद है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा 2008 में प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान के साथ एंट्री को भेजा गया था। यह कण ऐसे स्थानों पर पाए गए हैं जहां चंद्रमा के घूर्णन अक्षाश के थोड़ा झुके होने के कारण सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंच पाती। यहां का अधिकांश तापमान कभी – 156 डिग्री से अधिक नहीं गया।