बीते दो दिनों के दौरान दो ऐसी खतरनाक साजिशों का पर्दाफाश हुआ जिससे पता लगता है कि किस तरह आतंकवाद देश में आस्था के महत्वपूर्ण केंद्रों को अपने निशाने पर लेकर माहौल जहरीला बनाने के मंसूबे अभी भी पाले हुए है। पहले मामले में अयोध्या के मिल्कीपुर निवासी 19 साल के अब्दुल रहमान की हरियाणा से गिरफ्तारी से राम मंदिर पर आतंकी हमले का षडयंत्र सामने आया और दूसरे मामले में यूपी के ही कौशांबी जिले से बब्बर खालसा के आतंकी लजर मसीह के चंगुल में आने से पता चला कि हाल में हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए सबसे भव्य और दिव्य आयोजन महाकुंभ में अशांति फैलाने की योजना थी। जिसमें एक माह से अधिक समय तक करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज में मौजूद रहे थे।
दोनो स्थानों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखते हुए सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि ये साजिशें अमल में आ जातीं तो देश व समाज की शांति व सौहार्द के लिए कितनी घातक साबित होतीं। दोनों के सूत्रधार के रूप में कुख्यात पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का नाम आने से यह भी पता चलता है कि भारत के मूल ढांचे पर ही प्रहार करने के लिए पड़ोसी देश अभी भी कितने योजनाबद्ध ढंग से मोहरे चल रहा है।
ताज्जुब ये कि खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की बेहद पुख्ता चौकसियों के बाद भी ऐसी साजिशें रचने का दुस्साहस किया गया। इन साजिशों के तार पंजाब और हरियाणा से जुड़े होने का मतलब यह भी है कि पाक द्वारा प्रायोजित आतंकवाद कश्मीर में ही केंद्रित नहीं बल्कि एक बार फिर पूरे देश में अपना नेटवर्क फैलाने का बेहद शातिर ढंग से काम कर रहा है और इसके लिए गुमराह नौजवानों को मोहरा बनाने का अपना पहले वाला फॉर्मूला चला रहा है।
अच्छी बात यह है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां देश के दुश्मनों की ऐसी साजिशों को लेकर लगातार चौकन्नी रहते हुए कोई मौका नहीं दे रही हैं। संभव है कि अंदर ही अंदर ऐसे और भी प्लॉट रचे जा रहे हों जिनके प्रति सतर्कता जारी रहनी चाहिए। मुस्लिम समुदाय को भी देखना होगा कि मजहब के नाम पर उनकी नौजवान पीढ़ी को गुमराह न किया जा सके।