बीजेपी सांसद और प्रवक्ताओं से सविनय निवेदन है कि जो हुआ सो हुआ…बलात्कारी बाबा के पक्ष में अब सफाई न दें। कम से कम उन दो बेटियों के बारे में सोचें जिसकी हिम्मत और बहादुरी से बाबा बलात्कारी अपनी सही जगह पहुंचा है।
15 साल का समय कम नहीं होता। एक बेटी के भाई को भी बाबा के गुंडे मार चुके हैं फिर भी बेटियां डरी नहीं। बाबा के खिलाफ लड़ती रहीं। यह समय उन दोनों बेटियों की हौसलाअफजाई का है, ताकि अन्य बेटियां भी अपने खिलाफ हो रहे शोषण पर हिम्मत जुटा सकें। इन बेटियों की हिम्मत की मिसाल दी जानी चाहिए। पुलिस सेना के होते हुए जो गुंडई हो रही है, हम सब देख रहे हैं। इन गुंडों से बेटियां 15 साल तक लड़ी हैं।
जब बाबा के खौफ से 15 साल तक कोर्ट की कार्रवाई भी अखबार छापते नहीं थे और चैनल दिखाते नहीं थे, तब भी इन बेटियों ने अपनी लड़ाई जारी रखी। केवल सोचिए, 15 साल तक इनका एक-एक पल किस तरह बीता होगा। जब पहले पत्रकार फिर एक बेटी का भाई मौत के घाट उतार दिया गया, उसके बाद इनपर क्या बीता होगा? एक साथी बता रहे थे कि बाबा को दोषी ठहराए जाते ही दोनों बेटियां फफक पड़ी थीं। उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे थे।
देश का कानून हमें रेप पीड़िताओं की पहचान उजागर करने से रोकता है, वार्ना हर जिले, हर शहर में इन बेटियों के सम्मान में समारोह आयोजित करना चाहिए। इन बेटियों के हौसले की कहानी इन्हीं की जुबानी देश की बेटियों को सुनानी चाहिए। 26 जनवरी को इन्हें राजपथ पर बुलाकर दुनिया से परिचित कराना चाहिए।
*डेरा समर्थकों से दो एके 47 राइफल और एम्बुलेंस में भरे डंडे, पेट्रोल बम बरामद हुए हैं। जब सेना डेरे के हेडक्वार्टर में घुसेगी तब क्या-क्या मिलता है, इसका इंतजार है।
ईश्वर इन दोनों बेटियों की रक्षा करे, इनके हौसले को और बढ़ाये, और हिम्मत दे…आमीन
* बाबा को जीप के बोनट पर बांध के घुमाअो…कोर्ट से वहां ले जाअो जहां हिंसा हो रही है।
योगेश यादव
कार्टूनिस्ट चंद्रशेखर हाडा की वॉल से
70 बच्चे मरे पर कोई सड़क पर नही आया पर एक बाबा को बचाने के लिए 3 लाख लोग सड़को पर कत्लेआम मचाने को तैयाऱ।……भर्ष्टाचार, राजनिती मे अपराधी नेता, private schools की बड़ती फीसे, सरकारी अस्पताल की दुरदशा पर लोग कभी सड़को पर नही उतरते़………..proud to be an indian
सौरभ श्रीवास्तव
- दूसरों के लिए दुनिया भर की नैतिकता बघारने वाले नरेंद्र मोदी और अमित शाह और बीजेपी नेताओं को चुनावों में गुरमीत राम रहीम का समर्थन लेते समय ज़रा भी शर्म आई थी क्या?
- डेरा समर्थकों के मीडिया पर हमले बेहद शर्मनाक, निंदनीय है ।आजतक के पूर्व सहयोगी कैमरामैन प्रदीप गुप्ता को गंभीर चोटें आई हैं ऐसी खबर मिली है। बिल्कुल निकम्मी साबित हुई है खट्टर सरकार और उसकी हरियाणा पुलिस। मैं एक पत्रकार होने के नाते इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के तमाम संवाददाताओं और चैनलों की गाड़ियों पर हमलों की कड़ी निंदा करता हूं। सभ्य समाज को इस पगलाई हिंसा का विरोध और प्रतिकार करना चाहिए।
- जज को आज ही सज़ा का ऐलान भी कर देना चाहिए था। गुरमीत राम रहीम को दोषी क़रार दिये जाने के बाद सज़ा तय करने के लिए 28 तारीख़ तक मामला लटकाने से पंजाब-हरियाणा में क़ानून-व्यवस्था के लिए पहले से जारी गंभीर संकट बढ़ सकता है। उसके मायूस समर्थक बेक़ाबू हो सकते हैं।
- सामान्य अनुभव यह है कि अगर ग़रीबों के लिए एक स्कूल खोलने, अनाथालय चलाने, एक स्वतंत्र मीडिया संस्थान का गठन और संचालन करने, किसी स्वस्थ साहित्यिक-सांस्कृतिक उपक्रम के लिए या एक समाज सेवी संगठन चलाने के लिए समाज से आर्थिक सहयोग माँगा जाय तो आम तौर पर लोग नानुकुर और टालमटोल करते हैं या मखौल उड़ाते हैं। लेकिन राम रहीम या उन जैसे तथाकथित धर्मगुरुओं के लिए लोग स्वेच्छा से दिल खोल कर आर्थिक मदद करते हैं। फिर वही दोमुहां समाज तमाम संस्थाओं के नैतिक पतन पर चौतरफ़ा विलाप करता हुआ पाया जाता है।
- हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि एक स्वस्थ सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक ढाँचे के निर्माण और उसके संरक्षण-संवर्धन की सर्वाधिक ज़िम्मेदारी समाज की ही होती है। अगर हम इस भूमिका के प्रति सजग नहीं हैं तो फिर परिणामों के लिए दूसरों को ही दोष देते रहने से कोई फ़ायदा नहीं।
अमिताभ श्रीवास्तव
शातिर बाबा तो इससे पहले भी तमाम हुए, लेकिन करोड़ों अनुयायी और अरबों की संपत्ति रखने वाला राम रहीम वाकई अद्भुत है…साइकिल से लेकर वाटरबोट और हेलीकॉप्टर तक चला-उड़ा लेता है, अध्यात्म का शिक्षक होने के साथ-साथ फिल्मी हीरो भी है, अपनी फिल्मों में सारे स्टंट भी खुद करता है। जिम करता है बाबा…गाने लिखता ही नहीं खुद पॉप स्टार सरीखे से गाता भी है, तमाम तरह के वाद्ययंत्र बजा लेता है। कई हथियार भी चलाने में माहिर है। बहरूपिया इस कदर है कि फिल्म स्टार भी फेल हैं। स्पोट्र्समैन भी है, कुकिंग, बागवानी, खेतीबाड़ी में भी है माहिर। बाकी दुष्चरित्र बाबा क्या-क्या करता रहा है कोर्ट ने जगजाहिर कर ही दिया।
कहने का आशय यह कि, एक इंसान अपने भीतर तमाम तरह के व्यवहार और कलाएं किस कदर विकसित कर सकता है, बाबा इसका साक्षात उदाहरण है। ..और इस बात का भी उदाहरण कि सबकुछ करो पर अनैतिक कृत्यों से दूर रहो..वरना सबकुछ होते हुए हश्र आपके सामने है।
अजय दयाल
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