एक छोटे से अखबार के पूरे सच ने राम रहीम के किले को ध्वस्त कर दिया, जबकि बड़े अखबारों ने मौन साध रखा था, मोदी सरकार के GST थोप देने से बंदी के कगार पर पहुँच गये हैं। कितना जायज है…..
Rajendra K. Gautam
अंततः जिसका था इंतजार वह आकड़ा भी आ गया…रिजर्व बैंक के अनुसार नोटबंदी पर मोदी जी का दावा फेल हो गया है। 99 फीसदी पुराने नोट बैंकों में वापस आ गए। न नोट नदी में बहाए गए न जलाए गए। 15 दिन पहले 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से तीन लाख करोड़ वाला दावा भी धुंआ-धुंआ हो गया।
नये नोट छापने, उनको एटीएम और बैंकों तक पहुँचाने, एटीएम को नए तरीके से कैलिबर करने का खर्च जोड़ा जाए तो कहा जाएगा कि खाया-पीया कुछ नहीं अौर गिलास तोड़ा बारह आना….उल्टे जो दो हज़ार के नोट छापे गए उससे कालाधन रखना और आसान हो गया।
अब मोदी जी को उन लोगों से माफी मांगनी चाहिए जिन लोगों की नोटबंदी के कारण लाइन में खड़े-खड़े मौत हो गई। जिन बेटियों की शादी नहीं हो सकी। जिन लोगों की नौकरी चली गई। जिन लोगों को अपने ही रुपयों के लिए पुलिस की लाठी खानी पड़ी।
Yogesh Yadav
योगी वाकई योगी हैं…कुटिल राजनीतिज्ञ तो कतई नहीं हैं, वरना गोरखपुर वाले कांड को वह पिछली सरकार पर भी मढ़ सकते थे, इसके पीछे तर्क और सबूत देना बहुमत की सरकार के लिए बड़ी बात नहीं होती, उन्होंने ऐसा नहीं किया इसी कारण उन्हें निरन्तर सुनना पड़ रहा है, हो न हो किसी ने योगी के हाथ बांध रखे हैं, न्यायिक व्यवस्था को छोड़ लोकतंत्र के तीनों खंभे इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं। योगी की साफगोई, नेकदिली की लोग जमकर परीक्षा ले रहे हैं। ऐसे लोग गफलत में हैं। बतौर सीएम योगी के कार्यशैली की समीक्षा इतने कम वक्त में नहीं की जा सकती। हो न हो योगी किसी षडयंत्र का शिकार हो रहे हों? संभवत: इसके पीछे सरकारीतंत्र में कमीशनखोरी बंद होना हो। कमीशनखोरी तो सरकारीतंत्र की धड़कन बन चुका है…इमानदारी के पैसे से जीना तो पेसमेकर लेकर जीना हुआ। छटपटाहट तो नजर आएगी ही। सच पूछिये तो योगी में अपने काम का प्रोजेक्शन करने का स्वार्थ नहीं हैं। योगी ने गलत भी कुछ नहीं कहा, बच्चे पैदा करो तो अल्लाह और इश्वर की नेमत-कृपा से, बाकी छोड़ दो सरकार पर। अरे…मंदिर, मस्जिद, बाबा, मौलाना क्यों नहीं कोई फार्मूला और बेशुमार दौलत लेकर सामने आते कि अब सरकारी अस्पतालों में गोरखपुर केस की पुनरावृत्ति नहीं होने देंगे। महज आलोचना करने से कुछ नहीें होने वाला…
Ajay Dayal
ChandraShekhar Hada
बहुत् से नेता, अफसर और कभी कभी बड़े पत्रकार जनता के पैसों पर देश की समस्याओं जैसे बाढ़ , सूखा, आपदा प्रबंधन के अध्ययन करने विदेश यात्राओं के लंबे लम्बे टूर पर जाते है।
किसीं के पास कोई जानकारी हो तो शेयर करे कि इस अध्ययन से देश की किस समस्या का समाधान हुआ ?
Shailendra Singh
हर कामयाब पुरुष के ही नहीं,
हर जेल गए बाबा के पीछे भी
किसी औरत का हाथ होता है।
ChandraShekhar Hada
नोटबंदी से काला धन ख़त्म होने के वादे पर सरकार की तरफ़दारी में जुटे अर्थशास्त्रियों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों-बुद्धू बन कर कैसा लग रहा है?
Amitaabh Srivastava
दुनिया भले ही इसे डार्विन का विकासवाद कहे… लेकिन कुछ तो है जो उसकी ख़ुदाई की गवाह है..
हे राम…
Manoj Kureel
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