सेल्फी का ज़माना है सोशल मीडिया के जमाने में आज सेल्फी लेने का शौक जबर्दस्त ढंग से बढ़ा है। नई उम्र के लड़के- लड़कियों में तो इसका जूनन इस कदर हावी है कि इसके चक्कर में वे अपनी जान की फिक्र करना भी जरूरी नहीं समझते। सेल्फी लेते-लेते कोई झील में डूबता है, कोई पहाड़ से गिरता है तो कोई ट्रेन की चपेट में आ जाता है। मनचाहे ढंग से अपनी फोटो लेने के शौक में वे अपनी जिंदगी को ही खतरे में डाल देते हैं।
नतीजा यह है कि हाई क्वालिटी कैमरों वाले मोबाइल फोन अब मौत के रास्ते बन गए हैं। जबकि जुनून की हद तक सेल्फी लेने की इस दीवानगी के पीछे कोई कायदे की वजह भी नहीं है। बल्कि यह हकीकत से दूर दिमागी हालत को सामने लाता है। एक रिसर्च कहता है कि अगर किसी का दिन में तीन से ज्यादा सेल्फी लेने से भी मन नहीं भरता तो इसका मतलब यह कि उसे कोई विकार है।
भारत में तो यह समस्या इतनी बढ़ चुकी है कि सेल्फी लेने में सबसे ज्यादा मौतें यहीं हो रही हैं। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि दूसरों से अलग दिखने की चाहत को अपने सामने लाकर लड़के और लड़कियां अपनी यादों में संजो लेना चाहते हैं लेकिन ऐसा करते वक्त सामने मंडरा रहे खतरों की कोई परवाह नहीं करते, जान जाने की भी फिक्र नहीं होती। लेकिन ऐसी बेकाबू और जानलेवा चाहत को सही मानने की कोई वजह भी तो नहीं है।
नई उम्र के जोश के सामने खतरों की खास अहमियत नहीं होती लेकिन ऐसी दीवानगी को पूरा करने का नशा भी क्या जिसका कोई ठोस नतीजा न |आए बल्कि जिंदगी ही दांव पर लग जाए। देखा-देखी में ही नई पीढ़ी के बीच फैल रही यह ऐसी ‘बीमारी’ है जिसके बारे में खुद ही सोचना और अलर्ट रहना होगा।