घोसलों में नन्हे, बच्चे
पालती है माँ
जब, जरूरत हो
मुँह में दाने डालती है माँ
तृण, तिनके, तौलती
सहेजती, घोसले बनाती
अंडों में ऊष्मा, ममता भरती
कितने, जतन क़रतीं है माँ
देती सुरक्षा, धूप ,
पवन, वर्षा से
करती रक्षा, शत्रुओं से
जीवन अपना सतत
जोखिम में डालती है माँ
प्यार, मनुहार करती
बच्चों के बढ़ने का इंतजार करती
पंखों में उड़ान शक्ति भरती
वायु व गगन में भी संभालती है माँ
स्वयं, भूखे रहती
रात रात वो जगती
अपने समस्त गुण ,संस्कार
बच्चों में डालती है माँ
माँ महज चिड़िया नहीं
वो जीवन है,प्राण है
त्याग, तप, ममता की मूर्ति वह
सभी जीव, जंतुओं व मनुज में ब्रज, वो,एक ही समान है
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र