आखिरकार मणिपुर के हालात को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठा लिए हैं। मणिपुर के दौरे पर गए गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि राज्य में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा।
इसके साथ ही राज्य में हिंसा के पीछे पांच आपराधिक साजिशों और एक सामान्य साजिश की जांच के लिए सीबीआई की जांच शुरू की जाएगी। गृह मंत्री ने राज्य की राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति के गठन और हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के मुआवजे के साथ ही राहत और पुनर्वास पैकेज की भी घोषणा की। शाह ने हिंसा के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय की ओर से जल्दबाजी में लिए गए फैसले को दोषी ठहराया और कहा कि राज्य में जारी संकट का एकमात्र समाधान बातचीत है।
सच तो यह है कि राज्य में हालात जिस स्तर तक जटिल हो चुके हैं उसमें किसी भी पक्ष की ओर से और अधिक हिंसा हालात को ज्यादा मुश्किल बनाएगी और इसका खामियाजा सभी पक्षों को भुगतना पड़ेगा। इसलिए शांति की ओर बढ़ना ही सभी पक्षों के लिए जरूरी है। फिलहाल हिंसा में शामिल समूहों की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है क्योंकि कई बार शांति की सही दिशा को हिंसा या अराजकता की कोई छोटी घटना भी भटका सकती है।
हालांकि पहले केंद्र सरकार की ओर से संकटग्रस्त मणिपुर में स्थायी शांति के लिए संघर्षरत मैतेई और कुकी समुदायों के बीच न्यूनतम सहमति की जमीन तैयार करने के लिए त्रिआयामी दृष्टिकोण पर काम करने की बात की जा चुकी थी। राज्य में मैतेई समुदाय को जनजातीय दर्जे से संबंधित जो विवाद खड़ा हुआ है। उसका हल हिंसा और अराजकता से नहीं निकल सकता। बल्कि इससे ऐसी नई परिस्थितियां पैदा होंगी जिसमें बहुत सारे लोग कानूनी कार्रवाई की चपेट में आ जाएंगे। इसलिए जरूरी है कि सभी पक्ष अब संवाद के जरिए संतुलित समाधान तक पहुंचें।