मलेशिया के डाक्टर सारा ने कहा, जल्द ही हमारा देश कोरोना की चपेट से बाहर आ जाएगा
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के रजत जयंती वर्ष उत्सव के अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया।
इस वेबीनार का विषय “रोल ऑफ मीडिया इन कोविड क्राइसिस (कोरोना महामारी के दौरान मीडिया की भूमिका)” था। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. सारा चिन्नास्वामी (एसोसिएट प्रोफेसर, पोलिटिकल एंड मीडिया एनालिस्ट, मलेशिया) थे।
डॉ. सारा चिन्नास्वामी ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए फेक समाचार के प्रसार पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। उन्होंने मलेशिया में कोविड 19 संक्रमण की स्थिति पर बात करते हुए बताया कि हमने इस संक्रमण से निपटने के जो प्रयास किये उसमें हमें सफलता हासिल हुई है और जल्द ही हमारा देश इसकी चपेट से बाहर आ जाएगा। मगर इससे निपटने में न सिर्फ सरकार ने बल्कि हेल्थ सेक्टर, समाज और मीडिया ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मलेशिया में अधिकांश लोगों तक इंटरनेट की सुविधा होने की वजह से फ़ेक न्यूज़ के प्रसार की समस्या रही, मगर प्रशासन द्वारा ऐसी खबरों पर बेहतर नियंत्रण के कारण कम समय में ही गलत खबरों की जानकारी सभी पाठकों तक पहुँचाई गई जिसने अपुष्ट और भ्रामक खबरों के कारण पैदा होने वाली समस्या को कम किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. अंकुरण दत्ता (सह-आचार्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, गौहाटी यूनिवर्सिटी) ने बताया कि एक तरफ जहां यह कोविड 19 एक संकट की तरह हमारे सामने आया तो यह डिज़िटल प्लेटफॉर्म के लिए कई अवसर भी लेकर आया।
इस दौरान अख़बार की पहुंच लोगों तक कम हुई और लोग खबरों के लिए डिजिटल प्लेटफार्म की तरफ मुड़े। मगर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खबरों ने कई दूसरी समस्याएं भी पैदा कीं, जिसमें फेक न्यूज़ एक सबसे बड़ी समस्या की तरह हमारे सामने आई। अधिकतर लोगों तक इंटरनेट और सोशल मीडिया के ज़रिए पहुँच रही जानकारी ने एक “इंफोडेमिक” का रूप ले लिया। लोगों को सही और गलत जानकारी में फर्क करना मुश्किल हो गया, जिसके चलते लोगों में भय की स्थिति व मानसिक तनाव बढ़ा। इसलिए हमें खबरों को पढ़ते समय सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
प्रो. प्रीति सक्सेना ने कहा कि ऐसी कठिन परिस्थिति में मीडिया को उसकी भूमिका पर विचार करने की आवश्यकता है साथ ही आमजन के कल्याण की खबरों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। इस कोविड 19 संकट के दौरान कुछ मीडिया चैनलों और पत्रकारों ने अपनी जान जोखिम में डाल लोगों तक ज़रूरी खबरे पहुँचाई है मगर कुछ भ्रामक खबरों के कारण माइग्रेंट लेबर्स की समस्या भी हमारे सामने आई, ऐसी खबरों पर नियंत्रण की आवश्यकता है।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ जतिन श्रीवास्तव (सह-आचार्य, ऑहियो यूनिवर्सिटी, यूएसए) ने अपने व्याख्यान में कहा कि मीडिया समाज का अभिन्न अंग है और यह अपने सामाजिक दायित्वों का बखूबी निर्वाह करता आया है। वर्तमान में इसकी यथार्थ विवेचना की आवश्यकता है।
इस अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन वेबीनार के संयोजक डॉ कुंवर सुरेंद्र बहादुर (सहायक आचार्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, बीबीएयू) ने किया। वेबिनार में देश के विभिन्न संस्थानों में सेवारत मीडियाकर्मी एवं विभाग के सहायक आचार्य डॉ एम के पाढी, डॉ रचना गंगवार, डॉ लोकनाथ, डॉ अरविन्द कुमार सिंह सहित अन्य शोधार्थीगण उपस्थित रहे।