ज्ञान की गंगा
उपहार मूल्यवान नहीं उपयोगी होना जरुरी मूल्य उपहार का नहीं उसकी उपयोगिता का होता है जिस प्रकार एक प्यासे व्यक्ति के लिये स्वर्ण अलंकारों और एक भूखे व्यक्ति के लिये स्वर्ण पात्रों का तब तक कोई मूल्य नहीं जब तक उन्हें पानी और भोजन की प्राप्ति न हो जाये यह बात मायने नहीं रखती कि आपने सामने वाले को क्या दिया अपितु यह बात मायने रखती है कि वह वस्तु उसके किस काम आई किसी गरीब बच्चे को किताब देने से ज्यादा श्रेष्ठ है उसे इस काबिल बनाने का प्रयास किया जाये कि वह उस किताब को पढ़ भी सके किसी अंधे को लाठी पकड़ा देने से श्रेष्ठ है वह उन हाथों का दर्शन कर सके जिसने उसे दृष्टि दी अतः उपहार मूल्यवान ही हो यह जरुरी नहीं मगर उपयोगी हो यह जरुरी है याद रखें निर्मल भाव के आगे किसी वस्तु की कोई कीमत भी नहीं…
- अजीत कुमार सिंह