वैज्ञानिक एवं अध्यात्मिक सिद्धान्त पर आधारित लेख
जी के चक्रवर्ती
ईश्वर है या नहीं, और है तो किस रूप मे कहाँ? उसके होने के स्थान के विषय में उसका क्या वजूद है? ऐसे ही विषय पर सदियों से तमामों बहस चली आ रही है लेकिन आज तक कोई भी इसका सही उत्तर या उसे ढूंढने में कामयाब नहीं हो पाया हैं, वहीं पर कुछ दर्शन शास्त्रीयों के अनुसार हमारी प्रकृति ही भगवान है वही पर वैज्ञानिकों के मतानुसार जो बातें तर्क के आधार पर सिद्ध होती है और जिसका वैज्ञानिक गुण दोष है वही सत्य है। वहीं धर्म गुरुओं के अनुसार जो चीजें विश्वास पर आधारित है वह ईश्वर है। आज के इस लेख में हम आपको दोनों पहलुओं के तथ्यों के बारे में बताएंगे।
विद्वानों की राय
आज भी इस दुनिया में भगवान हैं। इस बात की पुष्टि विद्वान जन करते हैं। उनके अनुसार धरती से उत्पन्न प्रत्येक वस्तु व् प्रकृति द्वारा निर्मित वह प्रत्येक चीज जो स्वतं ही कार्य करती है व फलती-फुलती है, उन सबमें ईश्वर है।
विस्फोटो से सृष्टि की रचना
वैज्ञानिकों का मानना है कि बिग बैंग यानि महाविस्फोट के जरिए इस ब्रहंड की उत्पत्ति हुई। लेकिन ऐसे विस्फोट कैसे और किस वजह से हुए इसका कोई तर्क या प्रमाण संसार में नहीं मौजूद नहीं है। इससे से यह ज्ञात होता है कि ईश्वर का वजूद उन सभी जगह मौजूद है जहाँ पर प्राण है।
प्रकृति
भगवान के होने का दूसरा बड़ा प्रमाण हम इस प्रकृति को देखकर लगा सकते है। आज दुनिया में अनगिनत प्रजाति के पेड़-पौधे, मिट्टी, जल व खनिज हैं। इन सबका निर्माण हम मानवों द्वारा निर्मित नहीं है बल्कि स्वतः ही इस प्रकृति प्रदत्य है। इन सबकी उत्पत्ति ब्रहंड के साथ ही हुई है।
मानव शरीर संरचना
ईश्वर के अस्तित्व का दूसरा महत्वपूर्ण प्रमाण स्वयं मानव शरीर की संरचना है। उसमें मौजूद आंख, नाक, कान, लीवर, ह्दय सभी एक मशीन की तरह काम करते हैं। इन सभी का निर्माण ईश्वर ने या प्रकृति ने किया है, जो किसी अद्भुत चमत्कार से कम नहीं है।
धार्मिक ग्रंथों में पुष्टि
भगवान की उत्पत्ति का प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। ईसाइ धर्म ग्रंथ बाइबल के प्रथम अध्याय में ईश्वर के अस्तित्व का वर्णन है। इसमें लिखा गया वाक्य ” इन द बिगनिंग गॉड” स्वयं ही ईश्वर के महत्व को दर्शाता है। इसमें यह भी लिखा गया है कि इस धरती और आकाश का निर्माण ईश्वर ने ही बनाया है।
मन में विश्वास
ईश्वर के वजूद का एक प्रमाण यह भी है कि हम लोग जब किसी मुसीबत में होते है तो अनायास ही हमारे मुख से ‘हे भगवान’ या ‘ हे प्रभु’ या ‘भगवन मेरी रक्षा करो’ जैसे शब्द निकलने लगते हैं व हम अपनी खुशहाली के लिए भी भगवान से प्रार्थना करते हैं। ऐसे वक्त हमें यकीन होता है कि ईश्वर हमारी मदद करेगा। अलग-अलग धर्म व समुदाय के लिए भगवान का स्वरूप भिन्न है, लेकिन सबका एक ही विश्वास ईश्वर के अस्तित्व को साबित करता है।
क्या भगवान है या अपने आप होते है चमत्कार!
निश्चित रूप से भगवान के होने का तात्पर्य किसी चमत्कार से ही है। इसको हम इस तरह से देख सकते है, किसी व्यक्ति के अत्यधिक बीमार होने पर हम आज आधुनिक समय में डॉक्टर के पास या उसे हॉस्पिटल उपचार के लिए ले जाते हैं ऐसे मरीज का उपचार करते करते डॉक्टर थक जाता है और मरीज मरणासम्पन्न हो जाता है ऐसे समय में डॉक्टर उस मरीज को बचाने के लिए अपने हाथ खड़े कर देता है लेकिन हम मानव प्रवृति के कारण अपने मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टर से विनती करते है तब डॉक्टर को अक्सर यह कहते सुना जा सकता है कि अब कोई चमत्कार हो जाये तो बता नहीं सकते हैं या आप लोग ऊपर वाले से प्रार्थना करे शायद वोह कोई चमत्कार कर दें।
इससे हमें यहीं कहना पड़ता है कि विज्ञानिकों से लेकर इंजीनियर, डॉक्टर सभी लोग चमत्कार शब्द का ही प्रयोग करते हैं तब यही कहेंगे कि कुछ चीजें है जो हम इंसानों के हाथ में वश में या समझ से आज वर्त्तमान समय तक परे हैं एवं हमको मजबूरन ही सही हमें यही कहना पड़ता है कि ईश्वर सर्वशक्तिमान हैं। उनकी इसी शक्ति की झलक दुनिया में मौजूद कई चीजों में हमें स्वतः ही देखनें को मिलती रहती है। जैसे गंगा जल को ही लें गंगा जल इतने गंदा होने के बावजूद भी उसमें कभी कीड़े नही पड़ते है यह एक विज्ञानिक विषय हो सकता कि कुछ ऐसे कैमिकल जल में मौजूद होने से गंगा का जल हमेशा शुद्ध रहता है लेकिन वह केमिकल क्या है यदि हमारे वैज्ञानिक उस केमिकल का अविष्कार कर ले तो हो सकता है कि आगे भविष्य में उस केमिकल की एक दो बूंद खाद्य पदार्थो में मिलाकर उसे सड़ने से बचा लेने में हम स्क्षम हो जाऐ।
कहने का अर्थ यह है कि हमारा विज्ञान चाहे कितना भी सक्षम हो जाये प्रकृति के समस्त चीजों को और उनके कारणो को ढूंढने में और हजारों वर्षों के समय लग जाये इसके परिपेक्ष में हमें यही कहना पड़ता है कि किसी भी चीज को मान लेना अत्यंत सहज होता है उसके विपरीत किसी भी चीज को सिद्ध करना अत्यंत कठिन होता है और सिद्ध करने के लिए कारण का पैदा होना स्वाभाविक सी बात है ऐसे में उसका समुचित उत्तर भी चाहिए। इन्ही कारणों से हमारे देश में आध्यत्मिक या वैदिक कर्म कांड का आधार विश्वाश पर टिका होता है ऐसे धार्मिक स्थलों में विज्ञान के सिद्धांतों का फेल हो जाने से यह से विश्वास का क्षेत्र शरु होता है और विश्वास अँधा होता है उसे तो केवल मन की आँखों से या अंतर्मन में अनुभव या देखा जा सकता है।
वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण
अभी कुछ समय पहले ही लार्ज हेड्रॉन कोलाइन परियोजना के तहत वैज्ञानिकों ने गॉड पार्टिकल यानि हिग्स बोसोन कण को ढूंढ लिया है। उससे यह बताया जाता है कि इसी के द्वारा हमारे ब्राम्हांड की उत्पत्ति हुई है। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि 13.7 खरब साल पहले बिग बैंग यानि महाविस्फोट से गॉड पार्टिकल बनें और इसी से संपूर्ण सृष्टि अस्तित्व में आई है।
भौतिक सिद्धांत का बना उदाहरण
गॉड पार्टिकल के माध्यम से ब्राह्मांड की उत्पत्ति का सिद्धान्त ब्रिटेन के वैज्ञानिक पीटर हिग्स एवं बेल्जियम के वैज्ञानिक एंगलर्ट ने दिया है उनके अनुसार पार्टिकल में द्रव्यमान उपस्थित है। इसी वजह से महाविस्फोट जैसे घटना के घटित होने के बाद द्रव्यों के ठंडे हो जाने के पश्चात धिरे-धीरे इस सृष्टि की रचना हुई। इसे भौतिक विज्ञान का एक बहुत बड़ा एक खोज माना गया।
भगवान के अस्तित्व के सबूत
वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं के अनुसार भगवान का कोई वजूद हमारे इस पृथ्वी पर उपलब्ध नही है। ईश्वर से जुड़ा कोई प्रमाणिक सबूत हमारे पास नही है, इसे तर्क से सिद्ध नही किया जा सकता है। जिस दिन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हम पृथ्वी वासियों के पास होंगे उस दिन हम इंसानो की जानने की लालसा जैसी प्रवत्ति का समाप्त हो जाना कोई अस्वाभाविक बात नहीं है कियुंकि जिस दिन हम इंसानो को सब कुछ पता चल चुका होगा उस समय इस अवस्था में हमें न वेद, विज्ञान एवं प्रयोगशालाओं की जरूरत नही होगी, हम लोगों के लिए सब कुछ शून्य हो जायेगा और हम मानवों सभ्यता का अंत।