जी के चक्रवर्ती
11 सितम्बर तक देश के हरियाणा राज्य के करनाल में किसानों द्वारा तीन मागो को लेकर चल रहे धरना – प्रदर्शन में किसानों की मांगों को हरियाणा सरकार द्वारा मान लिये जाने के बाद धरना समाप्त हो गया। लेकिन किसानों द्वारा दिल्ली की सीमा पर तीन कृषि बिल कानूनों की वापसी को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन का हल अभी होना बाकी है।
देश के किसानों द्वारा इस राज्य में किये गए धरना प्रदर्शन को लेकर अभी सबसे पहली बार यह देखने में आया कि किस तरह किसानों के आगे सरकार को झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा। यहां पर भाजपा की हरियाणा सरकार द्वारा किसानों की मांगें मान ली गयी जिससे किसान बहुत उत्साहित होने के साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत का आत्म-विश्वास भी सशक्त हुआ हैं।
फिलहाल इन्ही किसानों द्वारा सिंघु बॉर्डर पर तीन कृषि बिल कानूनों को लेकर धरना प्रदर्शन अभी भी लगातार चल रहा है। हरियाणा में किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में हुए इस धरने प्रदर्शन में मिली जीत से किसान नेता राकेश टिकैत के साथ ही साथ किसानों का मनोबल और आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होने से पहले से अधिक जोश और उत्साह से तीन कृषि बिल कानूनों की वापसी को लेकर पूरे देश मे किसान आंदोलन जोर पकड़ेगा। जहाँ तक सिंघु बॉर्डर पर पिछले 9 महीनों से चलने वाला धरना प्रदर्शन में किसानों को अभी तक सफलता जरूर मिल गई होती लेकिन स्वयं देश के सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन कृषि बिल कानूनों के जांच कमेटी बना कर उसमे तीन महीनों में उसकी रिपोर्ट पेश करने की बात कही गई थी।
उस कमेटी के तीन सदस्यों में एक के सदस्यता त्यागने के बाद भी बाकी बचे सदस्यों द्वारा रिपोर्ट तैयार कर पहले ही सरकार को सौंप दिये जाने के बावजूद उस रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नही किये जाने से एक बात यह निकल कर आती है कि अभी तक भाजपा सरकार पर लगने वाले सभी आरोप सही साबित हुए हैं, ऐसी अवस्था आज तक देश के किसान धरना प्रदर्शन पर बैठने के लिये मजबूर है।
अब यहां यह बात और भी पुखता हो जाता है कि तीन कृषि बिल कानूनों को लेकर भाजपा सरकार की कोई न कोई गुप्त मनसा अवश्य है जिसके कारण अभी तक सरकार द्वारा इस बिल को वापस लेने की बात इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी सरकार बाल हट पर क्यों डटी हुई है?