आधा नवंबर बीत जाने के बाद अभी भी गर्मी का असर बना है लेकिन सुबह-शाम और रात में ठंड ने अपनी आमद की दस्तक दे दी है। गर्म कपड़े निकलने लगे हैं, एसी कूलर बंद हो रहे हैं। रात और सुबह के समय कम दृश्यता के कारण वाहन दुर्घटनाएं शुरू हो गई हैं तो कोहरे और धुंध ने हवाई यातायात की रफ्तार को बाधित किया है जिससे विमान भी डायवर्ट होने लगे हैं। कुछ ही दिनों में रेल संचालन भी बाधित होने लगेगा सबसे बड़ी बात यह कि अब खांसी, जुकाम व एलर्जी आदि समस्याएं शुरू हो गई हैं और डॉक्टरों के पास लोग जाने लगे हैं।
मौसम विभाग का कहना है कि मौसम में आने वाले दिनों में यह बदलाव और तेजी से बढ़ेगा। इनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सतर्कता सावधानी बरतना ही एकमात्र रास्ता होगा। हर तरह के यातायात में रफ्तार पर नियंत्रण तो रखना ही होगा, घरों और दफ्तरों में अगर कभी गर्मी का अहसास हो भी तो उसे बर्दाश्त करना होगा। यानी हर मामले में पर नियंत्रण रखना जरूरी हो गया है। घरों में छोटे-छोटे बच्चों और वृद्धों को शीत से बचाने को खासतौर पर ध्यान देना होगा।
इस बार गर्मी ने जो विकट रूप दिखाया है, वही सिलसिला ठंड के साथ भी जारी रह सकता है। ऐसे में ये सारे एहतियात बरतने और भी जरूरी होंगे। प्रशासन को भी मुकम्मल इंतजाम करने होंगे क्योंकि सड़कों के किनारे गरीब- बेसहारा लोग जिनमें बुजुर्ग भी होते हैं और उनके साथ गाय-भैंस जैसे पशु, जो सिर्फ भगवान भरोसे ही रहते हैं, को शीत के प्रकोप से बचाने के लिए अलाव और रैनबसेरे की व्यवस्था उसी के जिम्मे है।