festivalअध्यात्मिकधर्मधर्म-कर्मनवरात्रसाहित्य महिषासुरमर्दनी By Shagun - October 17, 2020 0 706 मातृ रूप शक्ति रूप दिव्य रूप जननी दीनन पर दया करो महिषासुरमर्दनी। भटक रहे निराधार आशंकित मन विचार सम्बल कोई मिले नैया तब लगे पार। व्यथित जन की पुकार करुणा से तार तार विनती है बार बार कृपा करो जननी महिषासुरमर्दनी।। – डॉ दिलीप अग्निहोत्री