विश्लेषण: दिलीप राय शर्मा

1. ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव और मसूद अजहर की स्थिति
ऑपरेशन का पैमाना: ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना की अब तक की सबसे सटीक और रणनीतिक कार्रवाइयों में से एक माना जा रहा है। 6-7 मई 2025 की रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और PoK में 9 ठिकानों पर 21 आतंकी शिविरों को नष्ट किया। इनमें बहावलपुर, कोटली, और मुरीदके जैसे प्रमुख आतंकी केंद्र शामिल थे।
मसूद अजहर का गढ़ तबाह: बहावलपुर में मरकज सुभान-अल्लाह, जो जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशनल मुख्यालय था, पूरी तरह ध्वस्त हो गया। यह वही स्थान है जहां मसूद अजहर नियमित रूप से रुका करता था और जहां से भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों की साजिश रची गई, जिसमें 2001 का संसद हमला और 2019 का पुलवामा हमला शामिल हैं।
परिवार का नुकसान: जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अजहर के बयानों के अनुसार, हमले में उनकी बड़ी बहन, बहनोई, भांजे, भतीजों, और अन्य करीबी रिश्तेदारों सहित 10-14 लोग मारे गए। मसूद अजहर ने कथित तौर पर कहा, “काश मैं भी मर जाता,” जो उसके मानसिक टूटन को दर्शाता है।
2. मसूद अजहर के मारे जाने की संभावना
खुफिया सूत्रों का दावा: कुछ खुफिया सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मसूद अजहर के मारे जाने की प्रबल संभावना है। बहावलपुर में हमले की तीव्रता और सटीकता को देखते हुए, यह संदिग्ध लगता है कि उनका पूरा परिवार और करीबी सहयोगी मारे गए, लेकिन वह स्वयं बच गए।

भारतीय सेना की सफलता को कमतर दिखाना: मसूद अजहर की मौत की पुष्टि होने पर यह ऑपरेशन भारतीय सेना की ऐतिहासिक जीत के रूप में देखा जाएगा, जिससे पाकिस्तान की खुफिया और सैन्य विफलता उजागर होगी।
आतंकी संगठनों का मनोबल बनाए रखना: मसूद अजहर की मौत की खबर से जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी संगठनों का मनोबल टूट सकता है।
फर्जी लेटर का संदेह: मसूद अजहर के नाम से जारी कथित पत्र, जिसमें उन्होंने अपने परिवार की मौत पर दुख व्यक्त किया, को कई जानकार फर्जी मान रहे हैं। अतीत में मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी बड़े हमलों के बाद वीडियो संदेश जारी करते रहे हैं, लेकिन इस बार कोई वीडियो या ऑडियो संदेश सामने नहीं आया। यह संदेह को और गहराता है कि मसूद अजहर शायद जीवित न हो।
3. जनाजे में पाकिस्तानी सेना और ISI की मौजूदगी
उच्चस्तरीय शोक: हमले में मारे गए लोगों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना और ISI के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी, साथ ही पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और सेना प्रमुख आसिम मुनीर की ओर से फूल चढ़ाए जाने की खबरें, इस बात की ओर इशारा करती हैं कि मरने वालों में कोई बड़ा आतंकी सरगना शामिल हो सकता है।
लश्कर कमांडर की उपस्थिति: जनाजे में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर हाफिज अब्दुल रऊफ की मौजूदगी और पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों का शोक व्यक्त करना असामान्य है। यह सुझाव देता है कि मसूद अजहर या कोई अन्य महत्वपूर्ण आतंकी नेता मारा गया हो सकता है।
पाकिस्तानी झंडे में लिपटे ताबूत: मारे गए लोगों के ताबूतों को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया, जो सामान्य नागरिकों के लिए असामान्य है और उच्चस्तरीय आतंकी या सैन्य महत्व के व्यक्ति की मृत्यु का संकेत देता है।
4. भारतीय खुफिया एजेंसियों की रणनीति
सतर्कता और सबूतों की प्रतीक्षा: भारतीय खुफिया एजेंसियां, विशेष रूप से रॉ (RAW), मसूद अजहर की मौत की खबर की पुष्टि के लिए ठोस सबूत जुटाने में लगी हैं। वे तब तक आधिकारिक घोषणा से बच रही हैं जब तक कि पूरी तरह पुख्ता जानकारी न मिल जाए। यह एक रणनीतिक कदम है ताकि गलत सूचना या अनावश्यक विवाद से बचा जा सके।
पिछले अनुभव: 2019 के बालाकोट हमले के बाद भी आतंकी ठिकानों पर हमले की खबरें आई थीं, लेकिन मसूद अजहर जैसे बड़े आतंकियों की मौत की पुष्टि नहीं हो पाई थी। इस बार भारतीय सेना और सरकार अधिक सतर्क और सुनिश्चित दृष्टिकोण अपना रही हैं।
5. संदेह और विरोधाभास
मसूद अजहर का बचना संदिग्ध: जिस मरकज सुभान-अल्लाह पर हमला हुआ, वह मसूद अजहर का नियमित ठिकाना था। खुफिया सूत्रों के अनुसार, हमले से पहले रॉ ने उनकी मौजूदगी की पुष्टि की थी। ऐसे में उनके परिवार और करीबियों के मारे जाने के बावजूद उनका बच जाना संदेहास्पद है।
पाकिस्तान का दावा: पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि उन्होंने पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया, लेकिन भारत ने इस दावे का खंडन नहीं किया, जिससे पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। साथ ही, पाकिस्तान ने हमले में 26 लोगों की मौत की बात स्वीकारी, लेकिन मसूद अजहर की स्थिति पर चुप्पी साध रखी है।
मसूद अजहर की अनुपस्थिति: हमले के बाद मसूद अजहर का कोई प्रत्यक्ष बयान, वीडियो, या ऑडियो सामने नहीं आया, जो उनकी मृत्यु की संभावना को बल देता है। अतीत में वह हमलों के बाद सक्रिय रूप से बयान जारी करता रहा है।
6. मसूद अजहर की मृत्यु की संभावना
उपलब्ध जानकारी और विश्लेषण के आधार पर, मसूद अजहर के मारे जाने की संभावना अधिक है, लेकिन आधिकारिक पुष्टि का अभाव इस रहस्य को गहरा रहा है। जनाजे में पाकिस्तानी सेना और ISI की सक्रियता, साथ ही उनके द्वारा खबर को दबाने की कोशिश, इस संभावना को और मजबूत करती है।
भारतीय सेना की जीत: मसूद अजहर की मृत्यु की पुष्टि होने पर यह ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होगा। यह न केवल जैश-ए-मोहम्मद को कमजोर करेगा, बल्कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश देगा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम है।
आगे की राह: भारतीय खुफिया एजेंसियों को चाहिए कि वे मसूद अजहर की मृत्यु की पुष्टि के लिए ठोस सबूत, जैसे डीएनए परीक्षण या प्रत्यक्षदर्शी गवाही, जुटाएं। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान और ISI की आतंकी संगठनों के साथ सांठगांठ को उजागर करने की जरूरत है।
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकी ढांचे को ध्वस्त किया, बल्कि मसूद अजहर जैसे कुख्यात आतंकी के भाग्य पर भी सवाल खड़े किए हैं। पाकिस्तानी सेना और ISI की चुप्पी, जनाजे में उनकी मौजूदगी, और मसूद अजहर की अनुपस्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि वह संभवतः मारा गया है। हालांकि, भारतीय एजेंसियों की सतर्कता और सबूतों की प्रतीक्षा इस मामले में परिपक्व और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। यदि मसूद अजहर की मृत्यु की पुष्टि हो जाती है, तो यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक मील का पत्थर साबित होगा।








