जी है ये सच है, यह मेरी अपनी आप बीती है। मैं उन दिनों गर्मियों में अपने खेतों में अपनी बड़ी चाची के साथ काम कर रहा था दिन का समय था चाची को प्यास लगी तो उन्होंने खेत के पास बने कुएं से पानी पीने की इच्छा व्यक्त की और वह कुएं से पानी लेने चली गयी थोड़ी देर बाद उन्होंने आवाज दी, मनोज भैया यहाँ आओ कुएं में कुछ सोने का मटका झलक रहा है जब उसे खीच रही हूं तो खींच नहीं रहा है।
फिर उसमें रस्से में बाल्टी बांधकर कुएं में फेका और ऊपर खीचने लगे! लेकिन फिर लगा कि हम दोनों को कोई तेजी से कुएं के अंदर खीचने लगा है तो हमने रस्सा और बाल्टी छोड़कर भागे !
अब यकीन हो गया था कि यह कोई मटका नहीं कोई भूत या मायाजाल है जो हम लोगो को कुएं मे डुबोकर मारना चाहता था। उसके बाद हम लोग काफी दिनों तक उस तरफ नहीं गये।
–मनोज कुमार, ग्राम कठिंगरा, लखनऊ
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