राहुल कुमार गुप्ता
सफलता ही संपूर्ण जीवन नहीं है। सफलता जीवन का मात्र एक पहलू है। जबकि दूसरा अहम पहलू असफलता है। सफलता और असफलता दोनों ही अंतरिक्ष की तरह बड़ी व्यापक हैं। इनका कहीं एक जगह ठौर ठिकाना नहीं। सफलता अगर इच्छाओं का अंतरिक्ष है तो असफलता जीवन के विभिन्न पहलुओं का संगम है।जिस प्रकार हमारी इच्छाएं असंतृप्त हैं उसी प्रकार सफलता भी। जो सदैव के लिए कभी पूरी हो ही नहीं सकती। हमे़ सफलता के एक या दो किनारे पाने पर जीवन में थोड़ा विराम और संतुष्टि जरूर मिलती है लेकिन जीवन फिर तमाम तरह के संघर्षों से दो-चार होने के लिए तैयार होता है।
असफलता भी जीवन का अहम पहलू है यह बहुत से अनुभव प्रदान करती है। जिससे आगे आने वाली पीढ़ी या आप से जुड़े लोगों के पथ पर संघर्ष कंटकों को साफ कर ये प्रगति रूपी पुष्प की बारिश करती है।
सफलता वही सुंदर है जो मानवता को बढ़ावा दे, अगर असफलता भी मानवता को बढ़ावा देती है, समाज को सकारात्मक प्रेरणा देती है तो वो सफलता से भी लाख गुना बढ़कर है। सफलता के लिए मन से प्रयास करना एक सकारात्मक पहलू है, उचित परिणाम न मिलने पर अपना जीवन तनाव युक्त कर लेना, जीवन का उद्देश्य ये कतई नहीं है। श्री कृष्ण जी के द्वारा गीता में दिए ज्ञान की कर्म करना चाहिए पर परिणाम की चिंता नहीं। यह वास्तव में बहुत ही मनोवैज्ञानिक फैक्टर है। जीवन के मूल्य उद्देश्य से भटकाव और तनाव से बचाने के लिए।
आज तनाव के चलते बहुत से लोग बहुत से रोगों से ग्रस्त हो असमय ही काल के गाल में समा रहे हैं। या जीवन से त्रस्त होकर खुदकुशी कर रहे हैं। ये मानव जीवन ही अपने आप में एक सफलता है जिसे हम कई योनियों में जन्म लेने के बाद प्राप्त करते हैं और फिर उन्हीं माया में पूर्व की भांति ग्रसित हो ईश्वर से दूर अन्य जीवों की भांति जीवन जीने में लग जाते हैं।
सफलता और असफलता जीवन के दो पहलू हैं। ये साथ साथ चलते हैं। एक हाथ में सफलता और एक हाथ में असफलता होती है। हम अपनी प्रकृति के हिसाब से मार्ग चुनेंगे तो सफलता के पुष्प मिलते हैं और अपनी प्रकृति के विपरीत तो अक्सर असफलता के कंटकों का मार्ग मिलता है। मछली अगर परिंदों को देखकर उड़ने का प्रयास करेगी तो उसे असफलता ही हाथ लगनी है और परिंदे यदि पानी के अंदर मछली को देखकर तैरने का प्रयास करें तो उन्हें भी असफलता मिलनी तय है। अगर अपनी प्रकृति जान कर हम उस मार्ग पर ही बढ़ें तो वो छोटा मार्ग हो या बड़ा सफलता छोटी हो या बड़ी सब कुछ भाता है वो भी बिना तनाव के। सफलता और असफलता के फलसफे से इतर और इन सबसे परे सबसे सरल और सहज है अपने ईश्वर अपने प्रिय का चिंतन!
जो जीवन को सही मार्ग पर ले जाता हैं चाहे वो मार्ग सफलता का हो या फिर असफलता का। जीवन वही सुंदर है जहां प्रेम, समर्पण, भक्ति और मानवीय संवेदनशीलता है। यही मानव जीवन का उद्देश्य है।
गोपाल दास नीरज जी की ये पंक्तियां भी मानव जीवन के संघर्ष में असफलता के बीच सफलता की रोशनी दिखाने का कार्य करती है।
कुछ सपनों के मर जाने से
जीवन नहीं मरा करता है।
एक पानी के बह जाने से
सावन नहीं मरा करता है।